Home Shaad, Pen चंडीगढ़ की एक रात…

चंडीगढ़ की एक रात…

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चंडीगढ़ की रात…
आज रात के भोजन के बाद
सड़क किनारे टहलते हुए
पास से गुजरती तेज गाड़िया की तेज लाइट
चोंक पे लाल बत्ती
तेज चलती सब की जिंदगी को शायद
कम ही बर्दास्त होती है
और
हरी बत्ती
सब को पसन्द
फिर रफ़्तार और हॉर्न की पो पो
फुटपाथ पे रुके हुए मेरे पैर
लाल और रंग में उलझ गए
फिर सोचा होटल तो अपनी जगह पे ही स्थिर है और काम से होटल तक का ही सफर है चलने लगा तो नज़र पड़ी कोई पास आकर रुका फिर उसने वहीँ फुटपाथ पे मैली कुचली चादर विछाई और आँखे बन्द करके लेट गया और सड़क पे रेड लाइट हो गई इक तरफ का ट्रफिक रुक गया मन में विचार ने जन्म लिया कुछ लोग ऐसे भी जिनके जीवन में लाल और हरी बत्ती का दखल नही है न ही कोई घर है……… है तो सिर्फ सरपट दौड़ती जिंदगी की गाड़ी है न कोई मोड़ है न कोई उतार चढ़ाव शायद न ही कोई एक्सिडेंट एक ही रफ़्तार है और फुटपाथ है और…….सिर्फ इक ही बदलाव है जीवन के सफर में वो …..एक ही चादर जो रात को नीचे जो बिछी है ……….वो कभी ऊपर …….होगी
हरी लाइट होते ही गाड़िया दौड़ने लगी फुटपाथ में अलमस्त नीद और मैं आपने कमरे में देर तक करवट बदलता रहा और मानसिक पटल पे दस्तक देती रही लाल हरी लाइट ट्रैफिक की पो पो फुटपाथ वो अलमस्त नीद और वो….चादर
देर तक होटल की खिड़की से मैं उसे देखता रहा जैसे वो कह रहा हो शुभ रात्रि …
Sanjivv Shaad

2 Comments

  1. Angre

    November 12, 2020 at 6:27 pm

    बहुत ही गहरे विचार दिल में उतर जाते हैं,, शाद साहब,,,,,,

    Reply

  2. Angrej singh saggu

    November 12, 2020 at 6:28 pm

    बहुत ही गहरे विचार दिल में उतर जाते हैं,, शाद साहब,,,,,,

    Reply

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