देव धरा हिमाचल प्रदेश के शिमला व सिरमौर जनपदों की लोक संस्कृति देव संस्कृति कहलाती है। हिमालय के आगोश में बसे इस सुरम्य प्रदेश के अन्य जनपदों की भांति यहां लोकगीतों व लोक गाथाओं आदि विपुल भंडार है जो लोकानुरंजन के साथ-साथ लोक संस्कृति की भी अमूल्य धरोहर है।
हिमाचल प्रदेश की विख्यात लोक गाथाओं में से एक है ‘भरथरी’ लोक गाथा। भरथरी शब्द सिरमौरी बोली का है जोकि भर्थरीहरि से बना है। ‘भरथरी’ हिमाचल की गेय लोक गाथाओं की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर है।
हिमाचल के चुनिंदा जिलों जिनमें चंबा, कुल्लू, कांगड़ा, मंडी, शिमला, सिरमौर आदि जनपदों में ‘भरथरी’ गायन का अलग-अलग ढंग है परंतु शिमला व सिरमौर के अलग-अलग परगनों में इसके गायन का अलग-अलग चलन है। भरथरी गायन की अनेकों विधाएं है यहां जो लोग विधा दिखाई जा रही है यह नाटी विधा में भरतरी गायक व नृत्य है।
जिला सिरमौर की गाथा गीत क्षेत्र विशेष के परंपरागत लोक कला व सांस्कृतिक विरासत का बोध करवाते रहते हैं। इसी प्रकार भरथरी केवल लोकगाथा ही नहीं बल्कि इसका संबंध देव परंपराओं से मुख्यतः माना जाता है। सिरमौर, शिमला जनपदों में अनेकों परगनों में असंख्य स्थानों पर आज भी जागरण व देवता में हवा लाने के लिए भरथरी गायन का बड़ा महत्व है इसलिए भरथरी लोक गाथा ही नहीं बल्कि एक महत्वपूर्ण देव गाथा भी है।
जीवन वृत्तांत
जोगेंद्र हाबी
सिरमौर की लोक संस्कृति सबल है। इसमें इतनी ताकत है कि यह अपने संरक्षकों की ख्याति को बढ़ाती है। हिमाचल प्रदेश में स्थित सिरमौर के ग्राम जालग में जन्मे जोगिंदर सिंह हाब्बी सिरमौर की विख्यात लोक संस्कृति के संवाहक बने हुए हैं। आपका कार्य क्षेत्र बहुत व्यापक है।
आप लोक नृत्य, अभिनय, कोरियोग्राफी, लेखन में समान अधिकार रखते हैं। हिमाचली लोक संस्कृति को वैश्विक पटल पर प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने का श्रेय आपको सबसे ज्यादा जाता है। आपने विलुप्ति की कगार पर पहुंची सिंहटू, भड़ाल्टू, धूड़िया स्वांग तथा रिहाल्टी जैसी लोक विधाओं को पुनर्जीवित किया। आपने अब तक परोक्ष-आप परोक्ष रूप में लगभग 1000 से अधिक युवा संस्कृति कर्मी तैयार किए हैं। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के सौजन्य से आपके सांस्कृतिक दल ने आपके नेतृत्व में यूरोप, बुल्गारिया, मैसोडोनिया, टर्की व ग्रीस में हिमाचली लोक संस्कृति की प्रस्तुतियां दी।
आप ने विभिन्न राष्ट्राध्यक्षों तथा विशेष अवसरों पर भी दमदार प्रस्तुतियां दी।
हिमाचली लोक संस्कृति में आपकी विशेषज्ञता होने के कारण आपको उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र, संगीत नाटक अकादमी, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, जनसंपर्क विभाग हिमाचल प्रदेश, दूरदर्शन केंद्र हिमाचल प्रदेश, ऑल इंडिया रेडियो जैसी ख्याति प्राप्त संस्थाओं से भी संबद्ध होने का अवसर प्रदान हुआ। राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर सरकार द्वारा चलाए जाने वाले जन जागरण अभियानओं का भी आपने सफल एवं प्रभावी प्रदर्शन किया।
आपको सैणधार सम्मान -2010, सिरमौर श्री सम्मान- 2016, डॉ वाईएस परमार सम्मान- 2018, हिमाचल दस्तक गौरव सम्मान-2019 के अलावा लगभग 100 से अधिक छोटे-बड़े सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। ऐसे कलााकरो पर हमें गर्व है