वर्तमान समय में जब हर कोई कोरोना, आर्थिक मंदी, शारीरिक और मानसिक परेशानियों से त्रस्त है। कहनिया आराम व सकून देती है आओ कुछ पल कहानियों की दुनिया मे चले …आओ बाल मन को समझे और उसे सही दिशा दे ताकि नैतिकता का प्रसार हो बचपन खुशहाल हो
आज हम देख रहे हैं कि घोर अस्त-व्यस्ता का दौर चल रहा है। इन सब के बीच बच्चे अपना नैसर्गिक स्वभाव और नैतिक आचरण खो रहे हैं। बाल मन बड़ा ही कोमल होता है। उस पर हर बात का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। जीवन की आपाधापी में एकल परिवार में न माता-पिता के पास समय है, न उचित वातावरण। ऐसे में एक माँ, एक शिक्षिका, एक लेखक होने के नाते मैंने यह महसूस किया कि कहीं न कहीं हम अपनी आने वाली पीढ़ी में अच्छी आदतें,संस्कार और नैतिकता डालना भूल तो नहीं रहे। बीज डालना हमारा धर्म है, धरती समय आने पर उसको पनपने का अवसर जरूर देती है। मैं अपनी कहानियों के माध्यम से बच्चों के मन की कच्ची मिट्टी में अच्छी आदतों, संस्कारों और नैतिकता के बीज डालने का छोटा सा प्रयास कर रही हूँ इस आशा के साथ कि एक दिन यह जरूर प्रफुल्लित होंगे।
सदैव आभारी
मीनाक्षी आहुजा “मीनू”
Kiran Badal
May 11, 2021 at 7:22 am
बाल कहानियां बाल मन को आकर्षित करती हैं।अच्छी और शिक्षाप्रद कहानियां बच्चों के लिए उत्प्रेरक का काम करती हैं। आज के दौरमें बच्चो को साहित्य से जोड़ने में कहानी विधा की अहम भूमिका है।जो बात बालक समझने से नहीं सीखता,वहीं बात कहानी के माध्यम से शीघ्र ही सीख लेता है। सार्थक और सराहनीय प्रयास के लिए मीनाक्षी जी को साधुवाद।
। किरण बादल
ParamJeet kaur
May 11, 2021 at 7:28 am
बाल साहित्य हेतु सराहनीय कार्य,, हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं प्रिय मीनाक्षी आहूजा।